बूढ़ा और उसका बैल

बूढ़ा और उसका बैल

बूढ़ा और उसका बैल

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एक छोटे से गाँव में एक बूढ़ा किसान अपने बैल के साथ रहता था। वह बूढ़ा किसान बहुत मेहनती था, लेकिन उम्र के कारण अब पहले जैसा काम नहीं कर पाता था। उसका बैल उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि वह उसकी खेती में मदद करता था।

एक दिन, बूढ़े किसान ने अपने बैल को खेत में काम करने के लिए बुलाया, लेकिन बैल बहुत थक गया था और काम करने से मना कर दिया। किसान ने उसे प्यार से समझाने की कोशिश की, "मेरे प्यारे बैल, तुम जानती हो कि बिना तुम्हारे मैं खेत नहीं जोत सकता। चलो, थोड़ी मेहनत करो।"

बैल ने सिर उठाकर किसान को देखा, लेकिन फिर भी वह काम करने को तैयार नहीं हुआ। किसान ने सोचा कि अगर वह बैल को मजबूर करेगा, तो वह और भी थक जाएगा। तभी उसने एक योजना बनाई।

किसान ने बैल को बुलाकर कहा, "मैं तुम्हें एक दिन की छुट्टी दूँगा। तुम आज काम मत करो। लेकिन याद रखना, कल से तुम्हें दो दिन का काम करना होगा।" बैल ने यह सुनकर सोचा, "बस एक दिन की छुट्टी! यह तो अच्छा है।"

बैल ने आराम किया और पूरी रात सोया। अगले दिन किसान ने बैल से कहा, "अब तुम्हें दो दिन का काम करना होगा।" बैल ने जब यह सुना, तो वह डर गया। वह समझ गया कि उसे बिना मेहनत किए छुट्टी नहीं मिल सकती।

बैल ने अपने आप को संजीवनी दी और किसान के साथ काम करने लगा। धीरे-धीरे, उसने काम में मेहनत की और किसान की मदद की। किसान ने बैल की मेहनत को सराहा और उसे बहुत प्यार किया।

सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि आराम की तलाश में आलस्य नहीं करना चाहिए। कभी-कभी हमें मेहनत करनी पड़ती है ताकि हम आगे बढ़ सकें। थोड़ी सी समझदारी और योजना से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है।

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