बंदर और उसके दोस्तों की चतुराई

बंदर और उसके दोस्तों की चतुराई

बंदर और उसके दोस्तों की चतुराई

Blog Article

एक बार की बात है, एक घने जंगल में एक बंदर और उसके कई दोस्त रहते थे। उसके दोस्तों में एक खरगोश, एक कछुआ और एक तोता शामिल थे। बंदर हमेशा अपने दोस्तों को अपनी चतुराई और चालाकी से प्रभावित करता था।

एक दिन, बंदर ने सोचा कि उसे अपने दोस्तों के साथ एक मजेदार खेल खेलना चाहिए। उसने सबको बुलाया और कहा, "चलो, हम एक दौड़ लगाते हैं। जो भी पहले फिनिश लाइन तक पहुँचेगा, उसे एक बड़ा इनाम मिलेगा!" सभी ने खुशी-खुशी इस चुनौती को स्वीकार किया।

दौड़ शुरू हुई। बंदर अपनी तेज़ी से आगे निकल गया और दूसरे जानवरों को पीछे छोड़ दिया। लेकिन बंदर को यह पता था कि उसे अपनी चालाकी से भी काम लेना है। उसने सोचा, "मैं अब थोड़ी देर आराम करूँगा और फिर दौड़ में वापस आ जाऊँगा।"

बंदर ने एक पेड़ के नीचे आराम करने का फैसला किया और सो गया। इस बीच, खरगोश, कछुआ, और तोता दौड़ते रहे। खरगोश अपनी तेज़ी से बहुत आगे निकल गया, जबकि कछुआ अपनी धीमी गति से चलते हुए पीछे था। तोता उड़ता रहा और फिनिश लाइन के पास पहुँच गया।

जब खरगोश ने देखा कि बंदर सो रहा है, तो उसने सोचा, "इस चतुर बंदर को सबक सिखाने का समय है!" खरगोश दौड़ते हुए फिनिश लाइन पर पहुँच गया। कछुआ धीरे-धीरे चलकर फिनिश लाइन तक पहुँचा।

बंदर की नींद खुली और उसने देखा कि सभी उसके पास पहुँच चुके हैं। उसने कहा, "क्या हुआ? क्या मैंने जीत नहीं हासिल की?" सभी जानवरों ने कहा, "नहीं, तुम सो रहे थे और हमने दौड़ जीत ली।"

सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि केवल चतुराई से ही काम नहीं चलता; मेहनत और निरंतर प्रयास भी आवश्यक हैं। आराम और आलस्य कभी-कभी हमें हमारे लक्ष्य से दूर कर देते हैं। हमें हमेशा सजग रहना चाहिए और अपनी क्षमताओं का सही उपयोग करना चाहिए।

Report this page