प्यासा कौआ

प्यासा कौआ

प्यासा कौआ

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गर्मी का मौसम था और एक कौआ बहुत प्यासा था। वह पानी की तलाश में इधर-उधर उड़ रहा था, लेकिन कहीं भी उसे पानी नहीं मिला। उसे बहुत थकान हो रही थी, और उसकी प्यास बढ़ती जा रही थी। तभी उसे दूर एक बर्तन दिखाई दिया, जिसमें थोड़ी सी पानी की झलक थी।

कौआ बहुत खुश हुआ और बर्तन के पास पहुँच गया। लेकिन जब उसने बर्तन में झाँककर देखा, तो पाया कि पानी तो बहुत नीचे है और उसकी चोंच वहाँ तक नहीं पहुँच पा रही। उसने सोचा, "अब क्या करूँ? इतनी मेहनत से यहाँ तक पहुँचा हूँ, पर पानी तक पहुँच ही नहीं सकता।"

कुछ देर सोचने के बाद कौए के मन में एक उपाय आया। उसने आसपास पड़े छोटे-छोटे कंकड़ उठाए और उन्हें एक-एक करके बर्तन में डालना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे कंकड़ों के वजन से पानी ऊपर की ओर उठने लगा। कौआ लगातार कंकड़ डालता रहा और थोड़ी ही देर में पानी बर्तन के किनारे तक पहुँच गया।

कौए ने अपनी चोंच से आराम से पानी पिया और अपनी प्यास बुझाई। फिर वह खुश होकर उड़ गया, क्योंकि उसने अपनी समझदारी और धैर्य से अपनी समस्या का हल निकाल लिया था।

सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि मुश्किल परिस्थितियों में धैर्य और समझदारी से काम लेने से ही समस्या का हल निकल सकता है। मुश्किलें चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर हम बुद्धिमानी और धैर्य से काम लें, तो सफलता अवश्य मिलेगी।

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