सच्चा मित्र कौन?

सच्चा मित्र कौन?

सच्चा मित्र कौन?

Blog Article

एक घने जंगल में दो मित्र, मोहन और सोहन, रहते थे। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी और वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे। एक दिन उन्होंने जंगल में घूमने का मन बनाया। चलते-चलते वे जंगल के बीच में पहुँच गए, जहाँ अचानक एक बड़ा भालू उनके सामने आ गया। भालू को देखकर दोनों डर गए और अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर देखने लगे।

सोहन ने तुरंत एक पेड़ पर चढ़कर खुद को बचा लिया, क्योंकि उसे पेड़ पर चढ़ना आता था। लेकिन मोहन को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था। उसने सोचा कि उसे अब क्या करना चाहिए। तभी उसे अपनी दादी की बात याद आई कि भालू मरे हुए इंसान पर हमला नहीं करता। मोहन ने तुरंत ज़मीन पर लेटकर साँस रोक ली और मरे होने का नाटक करने लगा।

भालू धीरे-धीरे मोहन के पास आया, उसकी नाक के पास मुँह ले जाकर सूँघा, और यह सोचकर कि वह मरा हुआ है, वहाँ से चला गया। जब भालू वहाँ से चला गया, तो सोहन पेड़ से नीचे उतर आया। उसने मज़ाक करते हुए मोहन से पूछा, "भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा?"

मोहन ने गंभीरता से उत्तर दिया, "भालू ने मुझे कहा कि सच्चा मित्र वही होता है, जो संकट में भी साथ दे।"

सोहन को अपनी गलती का एहसास हुआ, परंतु तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मोहन को समझ आ गया कि कठिन परिस्थितियों में ही असली मित्र की पहचान होती है।

सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा मित्र वही होता है जो हर परिस्थिति में हमारा साथ दे, न कि केवल अच्छे समय में। संकट के समय में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है।

Report this page