लोमड़ी और अंगूर का पेड़

लोमड़ी और अंगूर का पेड़

लोमड़ी और अंगूर का पेड़

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किसी घने जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी। एक दिन वह भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रही थी। बहुत खोजने के बाद भी उसे कुछ खाने को नहीं मिला। भूख से परेशान होकर वह थकी-हारी एक पेड़ के नीचे जा बैठी।

उसी पेड़ पर रसीले अंगूरों की एक बेल लटक रही थी। लोमड़ी ने जब उन अंगूरों को देखा, तो उसका मन ललचा उठा। उसने सोचा, "वाह! ये अंगूर कितने रसीले और मीठे दिख रहे हैं। इन्हें खाकर मेरी भूख मिट जाएगी।"

लोमड़ी ने अंगूरों को पाने की कोशिश शुरू की। वह बार-बार उछलती, लेकिन अंगूर उसकी पहुँच से दूर थे। उसने कई बार उछल-उछलकर अंगूरों तक पहुँचने का प्रयास किया, पर हर बार असफल रही। काफी कोशिश करने के बाद भी जब वह अंगूर नहीं पा सकी, तो थक कर बैठ गई।

थोड़ी देर तक सोचने के बाद उसने मन में सोचा, "अरे! ये अंगूर तो खट्टे हैं। इन्हें खाने का कोई मतलब नहीं। शायद ये मेरे लिए बने ही नहीं हैं।" यह सोचकर वह वहाँ से चली गई।

सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि जब हमें कोई चीज़ नहीं मिलती या हमारी कोशिश असफल होती है, तो हमें हालात को समझकर या तो कोशिश को जारी रखना चाहिए या स्थिति को स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए। बहाने बनाकर अपनी असफलता छुपाने से कोई लाभ नहीं होता।

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